India News MP (इंडिया न्यूज), MP News: मध्यप्रदेश के चंबल इलाके में दूध उत्पादों में मिलावाट करने का काम सालों से बदस्तूर जारी है। यहां से प्रदेश के साथ-साथ उत्तरप्रदेश,राजस्थान समेत कई अन्य राज्यों में पनीर व मावा सप्लाई किया जाता है। यहां मावा कारोबारी ज्यादा मुनाफे के लिए नकली मावा और पनीर को बड़ी मात्रा में बनाते हैं। पुराने समय मे जहां चंबल क्षेत्र बंदूक,बीहड़ और डकैतों के लिए बदनाम हुआ करता था।
वह क्षेत्र आज दूषित व मिलावटी मावा के उत्पादन का गढ़ बन गया है। जहां त्यौहारी सीजन आते ही अधिकाश इलाकों मे जगह-जगह नकली मावा बनाने की भट्टियां खुल जाती है और नकली मावा सहित पनीर को बनाने का कार्य करती है। उत्तरप्रदेश की सीमा से सटे भिंड जिले के मेहगांव,गोरमी,अटेर,लहार व मौ में बड़ी मात्रा में नकली मावा तैयार किया जा रहा है। यहां से प्रदेश के लगभग सभी जिलों में इस मावे को खासी मात्रा में खपाए जानें का कार्य लंबे समय से निरंतर निरंकुश जारी है।
मिलावखोर कारोबारी मशीनों की मदद से पहले दूध मे से क्रीम को निकालने का कार्य करते है। और उसके बाद उसमें चिकनाई के लिए वनस्पति तेल और मिठास के लिए ग्लूकोज के साथ कई प्रकार के घातक कैमीकल को मिलाते है। ये मिलावटखोर माफिया ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर मे दूध की जगह कैमीकल से बनाया गया एक पाउडर को पानी मे घोल कर मावे का रुप दे देते है। जो की पूरी तरह से खराब व नकली होने के साथ-साथ सेहत के लिए काफी हानिकारक होता है।
हैरानी की बात यह है कि इस गोरखधंधे की शिकायत के बाद भी मावा कारोबारियों पर कोई ठोस कार्यवाई होती हुई नहीं देखी जाती है खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा ऐसे प्रतिष्ठानों व अवैध ठिकानों से सैंपलिंग के नाम पर कार्यवाही किए जानें की खानापूर्ति की जाती है। सैंपलिंग के बाद कई महीनों व सालों बीत जाने के बाद भी खाद्य पदार्थों की जांच रिपोर्ट नही मिल पाती है और जिसके फलस्वरूप नकली मावा बनाने वाले सफेदपोश माफिया बेखौफ होकर पुन: इस मिलावटी कारोबार को दुगनी रफ्तार से करने लगते है। मावा ग्राहकों द्वारा संभावना व्यक्त की जा रही है कि कहीं न कहीं इस गोरखधंधे में अधिकारी भी मिले हुए हैं। तभी जिम्मेदार अधिकारी इन मिलावटखोर माफियाओं पर कार्यवाही करने से कतराते हैं।
मध्य प्रदेश के भिंड जिले में त्योहारों का सीजन आते ही जगह-जगह पर नकली मावा बनाना शुरु कर देते हैं, साथ ही ये लोग ज्यादा तादाद में नकली मावा बना कर मध्य प्रदेश के अलावा बिहार, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, राजधानी दिल्ली के साथ-साथ कई प्रांतो तक इस नकली मिलावटी मावा की सप्लाई करते है। समय-समय पर प्रशासन इनकी सैंपलिंग किए जाने की कार्यवाही करता है। लेकिन मिलावटखोर माफिया बावजूद इसके बाज नहीं आते है।
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