इंडिया न्यूज, देवास ( dewas -Madhya Pradesh)
MP News: मध्यप्रदेश के देवास से एक मामला सामने आ रहा है। जहां मंगलवार को जनसुनवाई में एक महिला अपने पति के साथ पहुंची और कलेक्टर कक्ष में हंगामा करते हुए चिल्लाने लगी। इस दौरान अधिकारी -कर्मचारी महिला को समझाते रहे लेकिन उसने किसी की एक न सुनी। जिसके बाद मौके पर सिटी कोतवाली पुलिस को बुलाया गया, और फिर हंगामा कर रही महिला गिरजा कुमावत को महिला पुलिसकर्मियों की मदद से जैसे-तैसे जनसुनवाई कक्ष से बाहर लाया गया। इसी दौरान गिरजा ने हंगामा करते हुए महिला पुलिसकर्मी के हाथ पर काटने का भी प्रयास किया।
महिला का आरोप है कि 16 नवंबर 2017 को करीब 5 साल पहले उसे डिलेवरी के दौरान जिला अस्पताल में गलत इंजेक्शन लगा दिए गए थे। जिसकी वजह से उसके कमर के नीचे का हिस्सा सुन्न हो गया और वह चल नहीं सकती थी।लाचारी और बेबसी का शिकार इस महिला का पति विशाल जैसे-तैसे पत्नी और अपने दो बच्चों को पाल रहा है। इलाज और आर्थिक मदद के लिए महिला ने पहले भी अधिकारियों के चक्कर काटे,मदद भी मिली लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते पूरा इलाज नहीं मिलने से वह बेहद परेशान है।
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हंगामे के दौरान अधिकारियों और मीडिया की समझाइश के बाद कहीं जाकर महिला महात्मा गांधी जिला चिकित्सालय में भर्ती होने को राजी हुई। कहना है कि उसे अपने पैर पर खड़े होना है। सरकारी अस्पताल में कोई इलाज नहीं होता,कोई सुनवाई नहीं होती।
इस मामले में डॉ.एमपी शर्मा ने बताया कि एक महिला जनसुनवाई में आज अपनी स्वास्थ्य के बारे शिकायत लेकर आई थी। 4-5 साल पहले महिला का डिलेवरी का केस हुआ था। उस समय उसे पैराफेरिया हो गया था, जो एक न्यूरोलाजिकल डिसीज होती है। इसके लिए यहां के डॉक्टर ने जब देखा तो उसे उस दौरान एमवाय अस्पताल न्यूरोसर्जन के पास भेजा गया। वहां इसका उपचार किया गया और दवाई दी गई।
इस बीमारी में रिकवर काफी धीरे-धीरे होता है। लंबे समय तक ट्रीटमेंट लेना पड़ता है। आज महिला आई थी। हमने उसे एमजी अस्पताल में भर्ती कराया है। एक फिजियोथेरिपिस्ट रखते है, जो निशुल्क फिजियोथेरिपी करेगा। इनको खाना निशुल्क मिलेगा।
जानकारी मिली है कि महिला के मामले में कलेक्टर के निर्देश पर पहले भी एक कमेटी बनाई गई थी। मामले में विधिवत जांच हुई है। इसमें डॉक्टर की कोई कमी नहीं पाई गई। न ही इसमें कोई दोषी पाया गया। वहीं कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आज महिला के इलाज और उसकी मदद के लिए दो अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है।
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