MP POLITICS: दो राज्यों में हार के बाद क्या बीजेपी को मिला सबक? समझे मध्यप्रदेश की राणनीति

India News (इंडिया न्यूज़),MP POLITICS: 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार ने पार्टी का मनोबल काफी नीचे कर दिया था। इस चुनाव में कांग्रेस को मध्यप्रदेश के 29 लोकसभा सीटों में केवल 1 सीट मिला था। जिसके बाद कांग्रेस पार्टी अपनी पकड़ मजबूत करने में लग गयी। जिसका परिणाम हमें हिमाचल और कर्नाटक चुनाव में देखने को मिला है। कांग्रेस पार्टी एक बार फिर से लोगों के बीच में काफी प्राकृतिक तरीके से जगह बनाना शुरु कर दी है।

इस साल में 9 राज्यों में चुनाव होना है। जिसमें मध्यप्रदेश भी शामिल है। अब बीजेपी को यह चिंता सताने लगी है कि क्या मध्यप्रदेश का भी वही हाल होगा जो इन दो राज्यों का हुआ है। हालांकि बीजेपी लोगों के सामने अपना डर दिखा तो नहीं रही है। लेकिन यह पार्टी इस साल के चुनावी मुद्दे में धीरे-धीरे बदलाव लाना शुरु कर दिया है।

  • ऐजेंड़ो में किया जाएगा बदलाव
  • आदिवासी वोटर्स को लुभाने का तरीका

वोट पाने के उपाय

कर्नाटक चुनाव में मिली जीत ने कांग्रेस को एक नयी उम्मीद दे दी है। इस जीत के साथ पार्टी ने तय कर लिया है कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सामाजिक न्याय जैसे प्रमुख मुद्दों पर लड़ा जाएगा। इसके अलवा वोट पाने के लिए 500 रुपए में गैस सिलेंडर, महिलाओं को 1500 रुपए महिना, बिजली में कुछ युनिट मुफ्त और कुछ पर छुट, किसानों का कर्ज माफ करने और पुरानी पेंशन योजना को लागू करने के साथ-साथ युवाओं को नौकरी देने की बात कही जा रही है। वहीं बीजेपी की ओर से धर्म , विकास और मोदी फैक्टर को लेकर बात किया जा रहा है। हालांकि कर्नाटक चुनाव के बाद बीजेपी भी अपने एजेंडो में बदलाव करना शुरु कर दी है।

मोदी बनाम राहुल

कर्नाटक चुनाव में बीजेपी ने अपने पार्टी के चेहरे का नाम साफ नहीं किया था। बीजेपी ये चुनाव मोदी बनाम राहुल करना चाहती थी, जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा। वहीं मध्यप्रदेश चुनाव में भी बीजेपी की तरफ से देखने को मिल रहा है कि यह चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के दम पर ही लड़ा जाना है। हालांकि एक राज्य में इसकी भरपाई करने के बाद भी बीजेपी अपने तरीके को बदलने को तैयार नहीं है। ऐसे में इसका परिणाम चुनाव के बाद ही देखने को मिलने वाला है।

आदिवासी सीटों पर भारी मुकाबला

वहीं अगर हम मध्यप्रदेश में जातीय समीकरण की बात करें तो यहां ओबीसी-50 फीसदी, एसटी-21 फीसदी, एससी-15 फीसदी और सामान्य वर्ग-13 फीसदी में बटा है। जिसे बीजेपी अपनी ओर लाने के लिए अलग-अलग तरीका निकालने में लगी है। पिछले चुनाव में 47 आदिवासी सीटों में से 31 सीट कांग्रेस के खाते में गयी थी।

उन सीटों पर जीत पाने के लिए बीजेपी आदिवासी समुदाय के नायक के नाम पर चौराहा और रेलवे स्टेशन का नाम रखा है। इसके अलावा इनके जयंती पर सरकारी छुट्टी की घोषणा की गयी है। साथ ही साथ आदिवासी पंचायतों में पेसा एक्ट भी लागू किया गया है।

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shanu kumari

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