MP Politics: MP चुनाव में कैसे अलग है भाजपा की रणनीति, जीत की गारंटी

India News (इंडिया न्यूज़), MP Politics: मध्यप्रदेश में भाजपा ने अब तक अपने प्रत्याशियों की तीन सूचियां जारी कर दी है। भाजपा की दूसरी सूची ने न सिर्फ नेताओं को चौंकाया बल्कि राजनीतिक जानकारों की गणित भी इस सूची को देखकर फेल हो गई है। तीसरी सूची में भाजपा ने अपने तीन केंद्रीय मंत्री के साथ 7 सांसदों को चुनावी मैदान में उतारा है। सूची में सबसे चौंकाने वाला नाम भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का था।

बता दें कि सूची में स्वंम का नाम देख कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मुझे कोई अंदाजा नहीं था कि मैं भी चुनावी मैदान में उतरने वाला हूं। इस लिस्ट के आने बाद अब समझते हैं क्यों बीजेपी की चुनावी रणनीति 2018 के चुनाव से अलग है। 

भाजपा की दूसरी सूची आने के बाद कई दिग्गज नेताओं को विधानसभा चुनाव में उतारा गया है। इसके पीछे भाजपा की बड़ी चुनावी रणनीति मानी जा रही है। भाजपा का मानना है कि जिन सीटों पर पार्टी कमजोर है वहां दिग्गज नेताओं को चुनाव में उतारने से पार्टी मजबूती के साथ चुनाव जीतने में सफल होंगी। 

पिछले चुनावों में पार्टियों में वोट का मार्जिन बेहद कम

बता दें कि पिछले चुनावों में भाजपा और कांग्रेस की जीत का मार्जन बहुत ही कम था, बात करें प्रदेश की तो ऐसी 7 सीटें थी जहां भाजपा को 4337 वोट ज्यादा मिलते तो कमलनाथ नहीं शिवराज सिंह चौहान ही मुख्यमंत्री बनाए जाते। साथ ही सबसे चौंकाने वाला नतीजा ये था कि प्रदेश के 17 विधायक महज 1 प्रतिशत वोट के अंतर से चुनाव जीतने में सफल हुए थे। तो वहीं 13 विधायक 1-2 प्रतिशत वोट के अंतर से जीते, और 16 विधायक 2-3 प्रतिशत वोटों के अंतर से चुनाव में जीत हासिल की थी।

पिछले चुनाव के दौरान भाजपा को कांग्रेस की ओर से कांटे की टक्कर मिली थी, यही कारण है कि पार्टी इस चुनाव में कोई भी रिस्क नही लेना चाहती है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने एमपी में 114 सीटें जीती थीं, जो बहुमत से तो दो कम थी, और निर्दलियों की सहायता से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाई गई थी, जिसके मुखिया कमलनाथ बने। 2018 में तीन फीसदी से कम वोटों के अंतर से जीतने वाले 46 विधायकों में से 23 बीजेपी के और 20 कांग्रेस के विधायक शामिल थे।

फग्गन सिंह कुलस्ते को मिली टिकट

बता दें कि भाजपा पार्टी ने केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को निवास विधानसभा से अपना प्रत्याशी बनाया है। पिछली बार निवास से फग्गन सिंह कुलस्ते के भाई रामप्यारे कुलस्ते चुनाव में हार गए थे, उन्हें कांग्रेस के डॉ अशोक मार्सकोले ने 15 फीसदी के वोट शेयर के अंतर से हरा दिया गया था। फग्गन सिंह कुलस्ते को टिकट देने के पीछे आदिवासी वोटर बैंक माना जा रहा है। 2018 के चुनाव में भाजपा को 25 आदिवासी सीटों का झटका लगा था, बस यहीं कारण है कि इस चुनाव में भाजपा पार्टी इन सीटों को वापस पाने की कोशिश करेंगी। 

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Roshani Rathore

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