प्रभु पटैरिया, भोपाल
इंडिया न्यूज़,MP Urban Body Elections Result 2022: पंजाब के बाद दिल्ली के सुल्तान अरविंद केजरीवाल की मुफ्त वाली स्कीम मध्यप्रदेश में जलवा दिखाने लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों में रेवड़ी कल्चर। इसी मुफ्त स्कीम वाले कल्चर ने भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों को अगले साल होने वाले चुनाव के लिहाज से बेचैन कर दिया है। उधर मध्यप्रदेश में पहली बड़ी सफलता से उत्साहित केजरीवाल को एमपी में अपनी पैठ बढ़ाने का एक्सप्रेस-वे दिख गया है।
केजरीवाल के साथ ही एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी को भी मध्यप्रदेश में अपने पांव पसारने का मौका मिल गया।ओवैसी यहां पहली बार अपने तीन पार्षद जिताने में कामयाब हुए हैं। उनके मेयर कैंडिडेट ने बुरहानपुर में 10 हजार से ज्यादा वोट काट कर न सिर्फ कांग्रेस को पराजय झेलने को मजबूर किया, बल्कि मध्यप्रदेश में अल्पसंख्यकों की राजनीति करने वाली कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बजा दी है।
दिल्ली और हैदराबाद के इन राजनीतिक टाइगर की घुसपैठ से एमपी के स्थापित टाइगर्स की टेरेटरी गड़बड़ाने लगी है। सनद रहे शिवराज खुद को टाइगर कहते रहे हैं। स्वाभाविक है दोनों दलों के प्रमुख इन बिन बुलाए आ धमके मेहमानों से खौफ खा रहे हैं, लेकिन बाघ के सामने पड़ गए हिरण की तरह डर का प्रदर्शन नहीं कर रहे। इसीलिए आम आदमी पार्टी की जीत के सवाल को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ एक व्यक्ति की जीत बता कर टाल देते हैं।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा भी इस जीत को कुछ परिस्थितियों से मिलना करार देकर पल्ला झाड़ लेते हैं। हकीकत कुछ और है। जब दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भरी बरसात में सिंगरौली में भीड़ भरा रोड शो कर जीत का दावा कर गए तो सिंगरौली हॉट हो गई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने वहां रोड शो कर विकास और जनकल्याण की योजनाएं गिनाईं। सिंगरौली को कई सौगातें देने की बातें कीं। कमलनाथ को भी अपनी ताकत इस आदिवासी ग्रामीण कस्बे से विकसित उद्योग नगरी में बदलते शहर में झोंकनी पड़ी।
मध्यप्रदेश की सियासी नब्ज के जानकार शिवराज और कमलनाथ जान गए थे कि अभी न रोका तो सिंगरौली में केजरीवाल के लिए उमड़ा जनसैलाब उनके वोटबैंक रुपी बांध को तोड़ देगा। चिंता और चिंतन पर आप की रानी अग्रवाल की तपस्या भारी पड़ गई। ऐसी पड़ी कि दिल्ली वाले केजरीवाल के लिए पंजाब के बाद देश के ह्रदय प्रदेश में नई संभावना के द्वार खुल गए।
मध्यप्रदेश में साल 2018 के विधानसभा चुनाव में अपने 200 उम्मीदवारों की जमानत तक न बचा पाने वाले केजरीवाल ने करीब साढ़े तीन साल बाद मध्यप्रदेश में धमाकेदार एंट्री ली है। केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने प्रदेश के इंडस्ट्रियल हब सिंगरौली में नगर निगम पर कब्जा कर लिया। आप की मेयर उम्मीदवार रानी अग्रवाल ने भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों को हराकर सियासी सुनामी वाली जीत दर्ज की है। उनके साथ सिंगरौली में आप के 5 पार्षद भी चुने गए। यही नहीं प्रदेश के ग्वालियर, बुंदेलखंड से लेकर विन्ध अंचल तक आम आदमी पार्टी के 12 पार्षद जीतने में कामयाब रहे।
सिंगरौली के पिछले विधानसभा चुनाव में आप के टिकट पर अच्छे खासे वोट लेकर तीसरी पोजीशन बनाने वालीं अग्रवाल में केजरीवाल को मध्यप्रदेश की दो दलीय राजनीति को भेदने वाला बारुद नजर आया। सॉ मिल यानी लकड़ी की आरा मशीनों के मालिक रानी अग्रवाल के परिवार ने अपने पैसे, रसूख और संबंधों के जरिए कांग्रेस, भाजपा और बसपा के प्रभाव को भेदना तभी से जारी रखा।
उनकी मेहनत ही है कि रिलायंस के अल्ट्रा मेगा पॉवर प्लांट और कोयले के लिए कभी कभार चर्चा में आने वाला सिंगरौली आज देश भर में चर्चित हो गया। रानी अग्रवाल के साथ 5 पार्षद (वार्ड मेम्बर) भी जीते। सिंगरौली के 45 वार्डों में से 44 में आप प्रत्याशी ने बसपा को पीछे कर जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई।
ज्यादातर तीसरी पोजीशन पर रहे। इसके अलावा डबरा में 2, पिछोर 2,भितरवार, भिंड, पोरसा, ओरछा, श्योपुर, विजयराघोगढ़, शाजापुर, नई गढ़ी में 1- 1 पार्षद आप के जीते हैं। ग्वालियर महापौर प्रत्याशी सहित कई और जगह आप का दम दिखा। यही वजह है , जो केजरीवाल ने सिंगरौली जीत पर खासी खुशी जताई।
केजरीवाल ने ट्वीट किया- “मध्यप्रदेश के सिंगरौली नगर निगम में मेयर पद पर जीत हासिल करने वालीं आप उम्मीदवार रानी अग्रवाल जी, सभी विजेताओं और कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई। मेहनत से जनता के लिए काम कीजिए। देश के हर कोने में अब जनता आम आदमी पार्टी की काम की ईमानदार राजनीति को पसंद कर रही है।”
रानी अग्रवाल ने चुनावी वचनपत्र में दिल्ली में आजमाई हुई मुफ्त वाली घोषणाओं की झड़ी लगा दी थी। बानगी देखिए, हाउस टैक्स माफ, हर घर को 20 हजार लीटर शुद्ध पेयजल, महिलाओं और छात्र-छात्राओं को मुफ्त बस, फेरी और फुटपाथ व्यापारियों को बैठकी से मुक्ति, निगम में ठेका प्रथा समाप्त, सफाईकर्मियों का इंश्योरेंस, मोहल्ला क्लीनिक आदि। इसे सेवा वचनपत्र नाम दिया गया।
मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव से पहली बार प्रवेश करने वाले एआईएमआईएम के असद्दुदीन ओवैसी को भी खासी तवज्जो मिल गई है। ओवैसी ने अपने आक्रामक अल्पसंख्यक प्रचार से तीन पार्षद जिता कर खाता खोला। बुराहनपुर में एक और जबलपुर में दो पार्षद उनके जीते। बुराहनपुर में तो एआईएमआईएम की महापौर प्रत्याशी शाइस्ता हाशमी ने 10 हजार से ज्यादा वोट हासिल कर कांग्रेस की शहनाज अंसारी को बीजेपी कर हाथों महज 542 वोट से पराजित करने में बड़ी भूमिका अदा की।
मध्यप्रदेश में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी बीजेपी के वोट काटकर उसके लिए खतरा पैदा कर रही है तो अल्पसंख्यक वोट लेने वाली ओवैसी की एआईएमआईएम कांग्रेस के लिए नुकसानदेह साबित हुई है। इसीलिए पीसीसी चीफ कमलनाथ से लेकर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव तक ओवैसी की पार्टी को बीजेपी कोर कमेटी का सदस्य और बी टीम बता रहे हैं। बीजेपी सीधे जुबानी हमले के बजाए आप के रेवड़ी कल्चर से निपटने की रणनीति पर काम शुरु कर रही है।
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