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MP: कैलाश विजयवर्गीय की बढ़ेगी मुश्किल? इस पुराने मामले में हाई कोर्ट ने दिया आदेश

• LAST UPDATED : April 23, 2024

India News  MP (इंडिया न्यूज), MP: मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। साल 2022 में खरगोन में हुए दंगों के बाद विजयवर्गीय ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक ट्वीट शेयर किया था, जिसके बाद उन पर सामाजिक सौहार्द्र भड़काने का आरोप लगा था. इसे लेकर कांग्रेस नेता ने उनके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी.

सुनवाई के बाद कोर्ट ने तिलकनगर पुलिस को मामले की जांच कर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट के आदेश पर कांग्रेस प्रवक्ता अमीनुल खान सूरी ने भी दस्तावेज पुलिस को सौंप दिए हैं।

विजयवर्गीय ने की थी टिप्पणी 

आपको बता दें, पिछले साल 10 अप्रैल 2022 को रामनवमी पर खरगोन जिले में हिंसा हुई थी और इस हिंसा के बाद मौजूदा कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया था। कैलाश विजयवर्गीय ने इस वीडियो को खरगोन का बताया था और अल्पसंख्यक वर्ग पर भी टिप्पणी की थी।

इस पूरे मामले में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता और कांग्रेस नेता डॉ. अमीनुल खान सूरी ने हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर 16 अप्रैल को सुनवाई हुई और हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने तिलक नगर थाने को 3 महीने के भीतर जांच पूरी कर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट में याचिका दायर 

कांग्रेस नेता अमीनुल खान सूरी ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने इंदौर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी और इसकी सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पुलिस को 90 दिनों के भीतर जांच के बाद प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने अमीनुल खान सूरी को आदेश की प्रमाणित प्रति तिलक नगर थाने में पेश करने को भी कहा।

थाने में शिकायत की थी दर्ज 

अमीनुल खान सूरी ने 16 अप्रैल 2022 को तिलक नगर थाने में इस मामले की शिकायत की थी। साथ ही उन्होंने लिखा था कि कैलाश विजयवर्गीय ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर तेलंगाना राज्य का एक वीडियो अपलोड किया है, जिसमें इसे मध्य प्रदेश का खरगोन बताया गया है।और उस पर जो कैप्शन दिया गया है। सामाजिक सौहार्द्र को भड़काना और शांति भंग करना।

वहीं, जब शिकायत के बाद भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की तो सूरी ने इंदौर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और याचिका दायर की। याचिका पर सुनवाई के दौरान इंदौर हाई कोर्ट ने पुलिस को 90 दिन में जांच पूरी करने का आदेश दिया है।

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