इंडिया न्यूज़, Indore News : मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में नर्सें सिविल सर्जन के कार्यालय के एक आदेश से नाराज हैं। जिसमें उन्हें अपने बच्चों को खिलाने के लिए काम के घंटों के दौरान घर जाने से रोक दिया गया है। 160 नर्सों में से दस के बच्चे हैं जो मां के दूध पर निर्भर हैं। 22 जुलाई के आदेश में जिला अस्पताल के नर्सिंग अधिकारियों से कहा गया है कि वे अपने बच्चों को खिलाने के लिए ड्यूटी के घंटों के दौरान अपने घर जाने से परहेज करें।
यह अचानक निर्देश हमें मानसिक आघात और उत्पीड़न का कारण बना रहा है। कम से कम 10 नर्सों के नवजात बच्चे हैं और वे संक्रमण के डर से उन्हें काम पर नहीं ला सकतीं। ये नर्सें अस्पताल परिसर के क्वार्टर में रहती हैं। जानकारी के अनुसार, इंदौर जिला स्वास्थ्य अधिकारी-1 डॉ जो मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रम की प्रभारी हैं ने कहा, “काम के घंटों के दौरान किसी भी महिला कर्मचारी को अपने बच्चों को खिलाने से प्रतिबंधित करने का कोई नियम नहीं है।
डॉक्टरों का कहना है कि माताओं को अपने बच्चों को दूध पिलाने से रोकने से दोनों के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज में स्त्री रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ ने बताया, “देरी या अनुचित भोजन से बच्चों और मां के स्वास्थ्य पर अलग-अलग प्रभाव पड़ सकते हैं। जिसमें बच्चे के विकास को रोकना और स्तनपान कराने वाली माताओं में संक्रमण शामिल है। बुरहानपुर के सिविल सर्जन डॉ ने कहा, ‘जिला अस्पताल के रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर। जो सिविल सर्जन कार्यालय के प्रभारी थे। फीडिंग प्रतिबंधित करने का आदेश जारी किया।
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