इंडिया न्यूज़ : Pad Woman Maya Vishwakarma elected as Sarpanch of Mehragaon:
पैड वूमेन के नाम से सुर्खियों में आई माया विश्वकर्मा ग्राम मेहरागांव की सरपंच चुनी गई हैं इस गांव की पूरी पंचायत निर्विरोध चुनी गई है जिसमें 11 महिला पंच भी शामिल हैं माया विश्वकर्मा महिलाओं-युवतियों को सेनेटरी पैड बांटने का अभियान चलाकर पेड वूमेन के नाम से सुर्खियों में आई थी और अबअपने ग्राम मेहरागांव की तस्वीर सरपंच बनकर संवारेंगी, जिनके साथ पंचायत की 11 महिला पंच भी गांव के विकास में योगदान देंगी।
अमेरिका में पढ़ाई कर चुकीं माया ने वर्ष 2008 में पीएचडी की। वहीं वह वर्ष 2014 में आम आदमी पार्टी की ओर से नरसिंहपुर-होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र जो अब नर्मदापुरम हो गया है, उससे लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुकी हैं।
माया
मेहरागांव पंचायत की बागड़ोर माया जैसी उच्च शिक्षित सरपंच के हाथों में देने और उनके सहयोग के लिए 25 से 60 वर्ष आयु तक की सभी 11 महिला पंचों को निर्विरोध चुने जाने से गांव के लोग भी खुश हैं। लोकसभा चुनाव लड़ने और फिर समाजसेवा के क्षेत्र में कार्य करते हुए गांव की सरपंच चुने जाने की बात पर माया कहतीं हैं कि उन्होंने जिले के आदर्श ग्राम बघुवार को काफी नजदीकी से देखा है उस पर एक डाक्यूमेंट्री भी बनाई थी, पुस्तक भी लिखी।
उन्होंने जगह-जगह इसका प्रचार भी किया कि बघुवार जैसे आदर्श ग्राम होने चाहिए और उन्हें इस बात का अफसोस भी रहता था कि उनका अपना गांव ऐसा विकसित क्यों नहीं है। यही वजह है कि पंचायत चुनाव तय हुए और महिला सीट रही तो गांव के सभी लोगों को साथ लेकर पंचायत को निर्विरोध चुनने सहमति बनी।
माया से पूछा गया कि गांव के विकास में उनकी पहली तीन प्राथमिकताएं क्या होंगी तो उनका कहना रहा कि सबसे पहले गांव में शिक्षा की व्यवस्था अच्छी होना चाहिए। गांव में 10वीं तक स्कूल है, लेकिन उसमें सुविधाओं का अभाव है। बच्चों को शिक्षा की अच्छी सुविधा, संसाधन बेहद जरूरी है। साथ ही गांव को स्वच्छ बनाने के लिए गांव में सड़क-नाली जैसी सुविधाओं पर कार्य करना है। इसके साथ ही गांव में बिजली की अच्छी व्यवस्था भी प्राथमिकता है।
गांव में अभी पर्याप्त ट्रांसफार्मर नहीं है जिससे बिजली की समस्या बनी रहती है, किसान भी परेशान होतें हैं। जिससे गांव में इस व्यवस्था का सुधार भी कराना है। वे कहतीं हैं कि वह चाहतीं तो दिल्ली जैसे महानगर में भी रहकर अपना करियर बना सकती थीं। लेकिन उन्होंने अपने गांव को विकसित करने के लिए यह फैसला लिया कि यहीं रहते हुए गांव को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित करना है।
उल्लेखनीय रहे कि माया लंबे समय से गांव में सुकर्मा फाउंडेशन की संचालक बतौर पर सेवागतिविधियों से जुड़ी हैं। कुछ वर्षो पहले उन्होंने महिलाओं-युवतियों, बालिकाओं को पेड वितरित करने का कार्य शुरू किया था। जिसके बाद से उन्हें काफी सुर्खिया और सराहना मिली थी। अब वह सरपंच बनने के बाद गांव की बागडोर संभालने का कार्य करेंगी।
मेहरागांव में सरपंच पद के लिए निर्विरोध माया के साथ जिन 11 महिला पंचो को निर्विरोध चुना गया हैं। उनमें कीतिबाई पति वीरेंद्र सिंह, सरस्वतीबाई पति सुरेंद्र कहार, उमादेवी पति मलखान सिंह, हल्कीबाई पति विनोद, शकुनबाई, इंदिराबाई पति महेंद्र, मृदुलता पति हरनारायण, अहिल्याबाई पति नरोत्तम सिंह, पिंकीबाई पति इंद्रपाल सिंह, कलाबाई पति गोटीराम, रामेतीबाई पति शिशुपाल शामिल हैं।
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