India News(इंडिया न्यूज़), Paper leak: अपने अच्छे भविष्य के लिए लाखों युवाओं के लिए सरकारी नौकरियां किसी सपने से कम नहीं होती। सालों की मेहनत करने के बाद मिलने वाला एक मौका उनकी जिंदगी बदल सकता है। लेकिन क्या हो जब उनकी मेहनत पर पेपर लीक का दाग लग जाए?
हाल ही में आज मध्य प्रदेश से खबर आई है। 10वीं के बोर्ड एग्जाम आज से शुरू हो गए है। आज पहला एग्जाम हिंदी का था, जिसे लेकर खबर आई कि हिंदी सब्जेक्ट का पेपर सोशल मीडिया प्लेटफार्म टेलीग्राम पर लीक हो गया है। इस मामले को लेकर जांच की जा रही है।
कुछ दिन पहले 28 जनवरी को झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की ओर से आयोजित कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल एग्जाम का थर्ड पेपर लीक हो गया था जिसके बाद कमीशन ने जनरल नॉलेज का एग्जाम रद्द कर दिया था।
झारखंड में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। पिछले साल भी आयोग के डिप्लोमा कंपटीशन एग्जाम के पेपर लीक हो गए थे। जांच की तो एग्जाम लेने वाली एजेंसी के लोग ही इसमें पाए गए।
पेपर लीक और किसी कंपीटेटिव एग्जाम के बारे में गलत जानकारी फैलाने वाले भी इस कानून के दायरे में आते हैं। इसमें एग्जाम कराने वाले व्यक्ति, एजेंसियां, प्रिंटिंग प्रेस और साजिश में शामिल लोग भी दायरे में आते हैं।
कुछ सालों में भारत में पेपर लीक होने की घटनाएं बढ़ती जा रही है। जिस वजह से एग्जाम को रद्द करना पड़ता है और ऐसे छात्रों के भविष्य पर भी असर पड़ता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2017-2023 तक इन 7 सालों में अलग-अलग राज्यों में पेपर लीक के 70 से ज्यादा मामले सामने आए और 1.5 करोड़ से ज्यादा छात्र प्रभावित हुए हैं।
पश्चिम बंगाल में राज्य बोर्ड परीक्षा के पेपर कम से कम 10 बार लीक हो गए है।
तमिलनाडु में 2022 में दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षा के पेपर लीक हो गए।
राजस्थान में 2018 से 2022 तक सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली 12 परीक्षाएं रद्द हुईं.
पेपर लीक के कारण कितने राज्य प्रभावित?
पेपर लीक होना सिर्फ स्कूल बोर्ड एग्जाम तक सीमित नहीं है, बल्कि कई राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाएं भी लीक हो जाती है। राजस्थान राज्य पिछले कुछ सालों में पेपर लीक के मामले में सुर्खियों में रहा है। पिछले कुछ सालों में कई कंपटीशन एग्जाम के पेपर लीक के 14 से ज्यादा मामले देखे गए, जिसके बाद एग्जााम रद्द करने पड़े।
पेपर लीक के मामले में गुजरात भी पीछे नहीं है। यहां सात सालों में पेपर लीक की 14 घटनाएं देखी गई हैं। गुजरात से पेपर लीक की कुछ घटनाओं में..
जीपीएससी चीफ ऑफिसर (2014)
तलाटी एग्जाम (2015)
टीचर्स एप्टीट्यूड टेस्ट (2018)
मुख्य सेविका (2018)
नायब चिटनिस (2018)
लोक रक्षक दल (2018)
नॉन सचिवालय क्लर्क (2019)
हेड क्लर्क (2021)
जूनियर क्लर्क एग्जाम (2023)
फॉरेस्ट गार्ड एग्जाम (2022)
और सब -ऑडिटर पेपर (2021) शामिल हैं.
उत्तर प्रदेश में 2017 से 2022 के बीच पेपर लीक की कम से कम आठ घटनाएं देखी गईं, इनमें…
इंस्पेक्टर्स ऑनलाइन रिक्रूटमेंट टेस्ट (2017)
टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (2021)
प्रीलिमिनरी एलिजिबिलिटी टेस्ट (2021)
बीएड ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम (2021)
एनईईटी-यूजी एग्जाम (2021)
और क्लास 12th बोर्ड एग्जाम (2022) शामिल हैं.
इसके अलावा पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, बिहार और हरियाणा में पेपर लीक के कई मामले सामने आए है। इन राज्यों में लगातार पेपर लीक होने की घटनाएं एजुकेशन सिस्टम की कमियों को भी उजागर करती हैं।
पेपर लीक और नकल का दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ राज्य सरकारों ने सख्त कानून बनाए हैं। राजस्थान में कम से कम 10 साल और अधिकतम उम्रकैद की सजा है। इसमें दोषी पाए जाने पर 10 लाख से 10 करोड़ रुपये तक जुर्माना लगने का प्रावधान है। अगर दोषी जुर्माना न दे तो 2 साल से अधिक जेल की सजा का प्रावधान है।
उत्तराखंड में भी पेपर लीक और नकल के मामले में उम्रकैद की सजा है। कम से कम 10 साल जेल और 10 लाख से 10 करोड़ तक के जुर्माने लग सकता है।
पेपर लीक के दोषियों के खिलाफ गुजरात में 3 से 10 साल की सजा का प्रावधान है, 1 लाख से 1 करोड़ रुपए तक के जुर्माने का लगाया जाता है, साथ ही पेपर खरीदने वाले छात्रों को भी 2 से 10 साल की सजा हो सकती है, पेपर लीक के आरोपियों को जमानत नहीं मिलती है।
हरियाणा में दोषियों को 7 से 10 साल जेल और 10 लाख रुपये तक जुर्माना लग सकता है, इतना ही नहीं उनकी प्रॉपर्टी को नीलाम कर नुकसान की भरपाई भी करने का प्रावधान है, नकल करते पकड़े जाने वाले छात्रों पर भी 5 हजार का जुर्माना और 2 साल की सजा हो सकती है।
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