India News (इंडिया न्यूज़), Pradeep Jaiswal: प्रदेश में आगामी समय में होने वाले विधानसभा चुनाव के निकट आते ही अब राजनीतिक बयानबाजी का दौर शुरू हो गया हैं। कांग्रेस के 3 बार के विधायक व एक बार कांग्रेस जिलाध्यक्ष रहे वर्तमान वारासिवनी के निर्दलीय विधायक व खनिज विकास निगम के अध्यक्ष प्रदीप जायसवाल की कांग्रेस में वापसी के द्वार बंद हो गये हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी प्रदीप जायसवाल के कांग्रेस में वापसी नहीं होने की बात पर मुहर लगा दी हैं।
प्रदीप जायसवाल को लेकर चर्चा इसलिए भी हो रही है क्यूंकि कमलनाथ सरकार में वे खजिन मंत्री बनाये गये थे। लेकिन कमलनाथ सरकार के गिरने के एहसास होते ही जायसवाल ने पाला बदलते हुये भाजपा को समर्थन दे दिया। बदले में भाजपा ने भी उन्हें उपहार में खजिन विकास निगम के अध्यक्ष बनाया हैं। जायसवाल के भाजपा या कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें थी। अब कांग्रेस ने जायसवाल को लेने से इंकार कर दिया हैं।
कांग्रेस के इंकार करने पर पलटवार करते हुए प्रदीप जायसवाल ने कहा कि जनता का दरबार खुला हैं तो किसी के दरवाजा की आवश्यकता नहीं हैं। असली दरबार जनता हैं और जनता ही उनका फैसला करेगी। जायसवाल ने कहा कि साल 2018 में मैं मुख्यमंत्री पद छोड़कर आया हूं। भाजपा ने यह आफर मुझे देते हुये कहा था कि आप सहित 7 निर्दलीय और भाजपा के 109 विधायक मिलकर सरकार बनाते हैं। मुझे मुख्यमंत्री और सपा के विधायक को डिप्टी सीएम का आफर दिया था। जिसे मैने ठुकरा दिया था।
उन्होंने कहा कि यह वही कमलनाथ हैं जिन्होने मुझे फोन कर समर्थन मांगा था। इसी तरह से शिवराज सिंह चौहान ने अपने विधायकों व निर्दलीयों को जोड़ते हुये समर्थन मांगा था। लेकिन मैने कमलनाथ को प्राथमिकता दी थी। जायसवाल ने कहा कि जो कुछ भी होता हैं उसमें समय का बहुत बड़ा योगदान हैं। समय ही बलवान होता हैं। जब कांग्रेस ने मेरी टिकिट काट कर संजय मसानी को टिकिट दे दी थी। कांग्रेस चाह रही थी कि वह संजय मसानी के लिये काम करे पर हमने नहीं किया और निर्दलीय चुनाव लड़ा। अगर मै चुनाव नहीं लड़ता तो यहां पर भाजपा चुनाव जीतती और हम सभी भाजपा की गुलामी करते। हमने कांग्रेस को बचाया हैं।
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