MP NEWS: हत्या के दो आरोपियों को जिला न्यायालय के द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। 12 अक्टूम्बर 2017 को कालीपीठ थाना क्षेत्र के लतेड़िया गॉव में रास्ते से मवेशी निकालने की बात पर विवाद में हुई थी । विवाद में एक युवक की हत्या कर दी गई थी।
जिला न्यायालय राजगढ़ में पदस्थ प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश महेश कुमार माली द्वारा पुलिस थाना कालीपीठ के अपराध क्रमांक 175/17 अन्तर्गत धारा 302,201, भा.द.वि में फैसला सुनाते हुयेें आरोपी दिलीप पिता कुमेरसिंह सोंध्या एवं आरोपी सरदारसिंह पिता कुमेरसिंह सोंध्या सर्व निवासीगण ग्राम लतेड़िया थाना कालीपीठ जिला राजगढ़ को धारा 302 भा.द.वि. में आजीवन कारावास तथा पाँच-पाँच हजार रुपये के अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।
घटना की जानकारी देते हुए प्रकरण में राज्य सरकार की और से पैरवी कर रहे लोकअभियोजक जे.पी.शर्मा नें बताया कि घटना दिनाँक 12.10.2017 को फरियादी नीतेश पिता देवीसिंह सोंधिया निवासी ग्राम लतेड़िया नें थाना कालीपीठ को इस आशय की देहाती नॉलसी लेखबद्ध करवाई कि सुबह 10ः00 बजे गाँव में आरसीसी का काम चल रहा था और उसके पिता देवीसिंह भैसें चराने कुएं पर जा रहे थे। जैसे ही आरोपीगणों के घर के सामने से देवीसिंह भैसें लेकर निकले तो आरोपी दिलीप नें कहा कि आरसीसी पर से जानवरों को क्यों निकाल रहे हो..? इसी बात पर उसके पिता और आरोपीगणों के बीच झूमाझटकी हुई और दोनों आरोपियों ने कहा कि अब तू कुएं पर चल मारकर फेंक देंगे।
इसके बाद मृतक देवीसिंह भैसें लेकर कुएं पर गया तो फ़रियादी नितेश को शंका हुई कि कहीं आरोपीगण उसके पिता को मारकर नहीं फेंक दे इसी आशंका से वह कुएं पर गया जहां पर उसके पिता देवीसिंह दिखाई नहीं दिए और भैंसे वहीं चर रही थी। उसने कुएं में झाँककर देखा तो उसके पिता देवीसिंह का पर्स और जर्दे का बटुआ कुएं में तैरता दिखाई दिया। फिर उसनें परिवार के लोगों को बुलाया और कुएं में कांटा डालकर घुमाया तो उसके पिता देवीसिंह की लाश कांटे में उलझकर ऊपर आ गयी एवं लाश के दोनों पैर धोती से बंधे हुए थे।
इसके पश्चात मृतक देवीसिंह की लाश को सिविल अस्पताल ब्यावरा मृतक के परिजनों द्वारा ले जाया गया।अस्पताल से पुलिस को सूचित किया गया मृतक की लाश का पोस्टमार्टम शासकीय अस्पताल ब्यावरा में कराया गया जिसमें पोस्टमार्टम कर्ता डॉ. नरेश कुरकुरे मेडिकल ऑफिसर ब्यावरा द्वारा मृतक का कान कटा हुआ तथा पसली में फ्रेक्चर होना पाया गया।
प्रकरण में विचारण के दौरान भी चिकित्सक साक्षी द्वारा अपने न्यायालयीन कथन में मृतक को उक्त चोंटे होने की पुष्टि की गई।
प्रकरण में अभियोजन की ओर से घटना के प्रत्यक्षदर्शी साक्षीगण सहित पुलिस साक्षी और चिकित्सक साक्षी डॉ. नरेश कुरकुरे के कथन न्यायालय में करवाये गए। महत्वपूर्ण चक्षुदर्शी साक्षीगणों के कथनों में विरोधाभास होने के कारण लोकअभियोजक जे.पी.शर्मा द्वारा प्रकरण में किये गए सुदृढ़ अंतिम तर्क से प्रकरण को परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर आरोपीगणों के विरुद्ध युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित किया। जिसके आधार पर न्यायालय द्वारा दोनों आरोपीगणों को धारा 302 आईपीसी के अपराध में आजीवन कारावास की सजा और पाँच-पाँच हजार रुपए के अर्थदण्ड की राशि से दण्डित किया है।
अर्थदण्ड की राशि जमा होने पर उसे मृतक के पुत्र को बतौर प्रतिकर के रूप में दिए जाने का उल्लेख भी न्यायालय द्वारा अपने निर्णय में किया है। निर्णय सुनाए जाने के बाद दोनों आरोपीगणों को पुलिस अभिरक्षा में लिया जाकर सजा भुगतने के लिए जिला जेल राजगढ़ भेज दिया गया।
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