India News(इंडिया न्यूज) MP, Sagar News: सागर जिले से एक धर्मांतरण का मामला सामने आया है। एक युवक को जबरन धर्म परिवर्तन कराने का मामला है। इस मामले में जिला न्यायालय सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश किरण कोल ने धर्म परिवर्तन के लिए दवाब डालने व लालच देने के एक मामले में दो आरोपियो को 2 साल की कठोर सजा और 25-25 हजार रुपए के जुर्माने सजा सुनाई है। जुर्माना अदा नहीं करने पर 6- 6 महीने का अतिरिक्त कारावास भोगना होगा।
इस मामले में शासन की ओर से पैरवी जिला अपर लोक अभियोजक रमन जारोलिया ने की। असंवैधानिक तरीके से धर्मांतरण करने का यह मामला अक्टूबर 2021 का है। भैंसा गांव निवासी अभिषेक अहिरवार ने कैंट थाने पहुंचकर शिकायत में बताया कि, उसका विवाह हिंदु रीति-रिवाज से सपना अहिरवार नाम की युवती से हुई है। करीब 6 महीने से वह मायके में है। अभिषेक उसे लेने गया तो उसकी बुआ सखी अहिरवार व फूफा रमेश अहिरवार पत्नी को अभिषेक के साथ नहीं भेज रहे थे।
अभिषेक का आरोप था कि आरोपी ने उस पर ईसाई बनने का दबाव बना रहे हैं। अभिषेक ने बताया कि उनका कहना है कि सपना को तभी तुम्हारे साथ भेजेंगे। जब तुम ईसाई बन जाओगे। उन्होंने मुझे 20 हजार रु. महीना की नौकरी दिलाने का भी लालच दिया। कैंट थाने ने युवक अभिषेक की शिकायत पर सखी व रमेश के खिलाफ जबरिया धर्म परिवर्तन का केस दर्ज कर लिया।
न्यायालय में सुनवाई के दौरान आरोपियो के वकील ने तर्क दिया कि अभिषेक अहिरवार तथ्य छिपा रहा है। वह कोर्ट को यह नहीं बता रहा कि पत्नी सपना ने उसके खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराया है। वह यह तथ्य भी छिपा रहा है कि वह आरएसएस का कार्यकर्ता है। जवाब में सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज होने और धर्म परिवर्तन की शिकायत के बीच कोई साम्य नहीं है। आरोपियो द्वारा धर्म परिवर्तन के लिए उस पर दबाव बनाया गया। इसका साक्ष्य पीड़ित युवक के पड़ोसी व अन्य गांव वाले भी अपनी गवाही में दे चुके हैं।
बयानों के आधार पर ये भी साबित हुआ है कि अभिषेक एक साधारण मजदूर है। वह किसी भी राजनैतिक, सामाजिक-धार्मिक संगठन से नहीं जुड़ा है। जब वह थाने में रिपोर्ट करने पहुंचा था। तब भी उसके साथ कोई भी धार्मिक या हिंदुवादी संगठन नहीं था। आरोपियो के वकील ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि मेरे पक्षकारों को इस मामले में जबरिया घसीटा जा रहा है। उनके पहचान समेत अन्य सरकारी दस्तावेजों का अवलोकन करें तो उन पर इन लोगों के नाम क्रमशः सखी अहिरवार, रमेश अहिरवार ही दर्ज है। इसलिए जो व्यक्ति स्वयं ही ईसाई नहीं बना हो।
वह दूसरे का धर्म-परिवर्तन कैसे कराएगा। बचाव पक्ष के इस तर्क पर कोर्ट ने विचारण किया। उन्होंने कहा कि पीड़ित युवक द्वारा धर्म परिवर्तन की शिकायत करना एक गंभीर आरोप है। इससे उसकी शादीशुदा जिंदगी खत्म हो सकती थी। इसके बावजूद उसने यह शिकायत की। जो विचारण के दौरान संदेह से परे रही। वैसे भी धर्म परिवर्तन कराने वाले लोग सरकारी योजनाओं का लाभ के लिए आधार, जाति प्रमाण से अपनी पुरानी पहचान नहीं बदलवाते हैं। इसलिए आधार पर जाति अहिरवार अंकित होने से आरोपियो द्वारा धर्म परिवर्तन नहीं कराने की बात साबित नहीं होती है।
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