शहडोल: जिले के करकटी गांव के रहने वाले राम सजीवन कचेर हमेशा खेती-किसानी में नए प्रयोग करते रहते हैं। इस बार उन्होंने स्ट्रॉबेरी की सफल खेती की है। इन दिनों उनके खेत में स्ट्रॉबेरी की भी फसल निकल रही है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से किसान भी पहुंच रहे हैं। किसान उनके इस नवाचार की तारीफ कर रहे हैं।
राम सजीवन कचेर बताते हैं कि उनके एक परिचित किसान हैं। जिन्होंने उन्हें कुछ साल पहले अंतर्राष्ट्रीय कृषि मेला के लिए पुणे बुलाया था। वहां पर उन्होंने देखा कि वहां पर स्ट्रॉबेरी की खेती हो रही है। उसके बाद रामसजीवन के दिमाग में ये विचार आया कि क्यों न वो भी अपने यहां स्ट्रॉबेरी की खेती करें। राम सजीवन कहते हैं कि जब हमने मेले में स्ट्रॉबेरी खरीद कर खाया तो टेस्ट भी शानदार था, जिसके बाद उन्होंने पूरी तरह से विचार बना लिया कि वो इसकी खेती एक बार जरूर करेंगे।
स्ट्रॉबेरी की खेती को लेकर राम सजीवन कचेर बताते है की दूसरी फसलों की खेती की तरह ही है। बस इसमें कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी है। अगर कोई किसान स्ट्रॉबेरी की खेती करता है तो ड्रिप और मल्चिंग के साथ अगर इसकी खेती की जाए तो बहुत ही अच्छा है क्योंकि नमी में अगर इसके फ्रूट रहेंगे तो खराब हो सकते हैं। इसलिए मल्चिंग और ड्रिप सबसे अच्छा ऑप्शन है। इसकी खेती में बहुत ज्यादा एक्स्ट्रा खर्च की जरूरत नहीं पड़ती और अच्छा खासा मुनाफा कमाया जा सकता है। बस लार्ज स्केल पर इसकी खेती की जाए और अच्छा मार्केट मिल जाए।
अपने क्षेत्र में सितंबर से 15 मार्च तक का वक्त इसकी खेती के लिए बहुत ही शानदार है। तापमान इसके अनुकूल रहता है अगर 1 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती की जाए तो लगभग 3 हज़ार पौधे लगेंगे, जिसमें 12 से 15 हज़ार रुपए तक कमाए जा सकते हैं। इसके लिए भी किसान को कमर कसके रखनी पड़ेगी क्योंकि इसके लिए किसान को रायपुर, बिलासपुर या जबलपुर का मार्केट पकड़ना पड़ेगा। वहीं अच्छे दाम मिलेंगे और ज्यादा से ज्यादा फसल को वहां बेचा जा सकता है। उन्होंने ट्रायल के तौर पर स्ट्रॉबेरी की खेती की थी और उनके पास जैविक खेती करने के लिए पूरे संसाधन उपलब्ध थे। उनके पास गोबर गैस है।इसके अलावा डी कंपोजर और जीवामृत भी वो बनाते हैं और इसी का इस्तेमाल करके इस बार उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती की है। अपनी फसल में किसी भी तरह का केमिकल इस्तेमाल नहीं किया है, और न ही किसी तरह की रासायनिक दवाइयों का इस्तेमाल किया है।