India News(इंडिया न्यूज़), SP office: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक और बड़ा खुलासा हुआ है. एसपी ऑफिस के पांच साल के बिलों में भारी गड़बड़ी पाई गई है. एसपी ऑफिस की 72 एंट्रियों में लगभग 71 लाख रुपए का घोटाला सामने आया है. चौंकाने वाली बात यह है कि दफ्तर में पदस्थ सिपाही ने 17 लाख रुपए अपनी पत्नी के खाते में भेज दिए.
कागजों और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के चलते किसी का नाम और किसी का खाता जैसी हेराफेरी कर किए घोटाले में टेलीफोन, वाहन, बिजली सहित एसपी ऑफिस से जुड़े अन्य मदों के खर्चों और भुगतान में हेराफेरी को ट्रेजरी विभाग के ऑडिट में पकड़ा है. इनमें 17.38 लाख के लगभग शाखा में पदस्थ सिपाही की पत्नी के खाते में जमा हुए हैं. अब पुलिस मुख्यालय की टीम इसकी जांच के लिए ग्वालियर आ रही है.
उधर, सरकारी पैसा का दुरूपयोग करने में सिपाही को भी हिरासत में लिया है. पुलिस के शाखा के लेखे जोखे में 72 एंट्रियों में गड़बड़ी सामने आई है. इनमें दो एंट्री में 17.38 लाख रुपए शाखा में पदस्थ आरक्षक अरविंद भदौरिया की पत्नी के बैंक खाता नंबर में जमा हुए हैं. इसमें नाम किसी और का है. खाता नंबर आरक्षित अरविंद सिंह की पत्नी का है. FIR के बाद आरक्षक अरविंद को हिरासत में लेकर विश्वविद्यालय थाने में बैठाया है. पुलिस मुख्यालय को इस बात की भनक तक नहीं लगी. अब खलबली मची है.
इस मामले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) राजेश सिंह चंदेल ने मामले की पुष्टि की और कहा कि इस पूरे बिल भुगतान संबंधी मामले में आरक्षक रवि भदौरिया का नाम सामने आया है. उससे पूछताक्ष की जा रही है. प्रथम दृष्टया बताया गया है कि आरक्षक की पत्नी के खाते में 17 लाख के लगभग राशि ट्रांसफर की गई है. इस संबंध में ट्रेजरी ने जांच समिति बनाई गई. जैसे ही रिपोर्ट मिलती है, तो फिर आरोपी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी. एसएसपी ने यह भी बताया कि इस मामले में और भी लोगों के शामिल हो सकते हैं. यह भी जांच के बाद ही पता चलेगा.
ट्रेजरी के अधिकारियों ने बताया, साल 2018 से 2023 के अंतराल में किये गए बिल पेमेंट के 77 बैंक खातों में 71 लाख के करीब संदिग्ध पेमेंट किया गया है. क्लर्क सिपाही अरविंद सिंह भदौरिया का नाम सामने आया है. उसकी पत्नी के भारतीय स्टेट बैंक खाते में 17 लाख रुपये ट्रांसफर करना पाया गया है. जबकि खाता नाम और किसी का था. लेकिन खाता नम्बर उसकी पत्नी नीतू सिंह के नाम से था.
इससे पहले पीएचई विभाग में भी हुए 81 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेनदेन का भुगतान किया गया था. इस मामले में भी कई आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. जांच संबधी रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है, इसलिए जांच कछुआ चाल चल रही है. यह घोटाला 2011 से 2018 तक के दस्तावेजों में हुआ था.