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आदिवासी संगठन जयस ने किया विरोध प्रदर्शन, संविधान हाथ में लेकर पुलिस को पढ़ाया कानून का पाठ

• LAST UPDATED : February 26, 2023

Khandwa: मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के खालवा क्षेत्र में आदिवासी युवक की हत्या और फिर आरोपियों के घर के सामने अंतिम संस्कार करने का मामला गर्म होता जा रहा है। जिसके चलते इस मामले को अब आदिवासी संगठन जयस ने समर्थन दीया हैं। जिसके चलते अलग अलग जिलों से आए सेकड़ों आदिवासियों ने खंडवा के एसपी ऑफिस का घेराव किया हैं।

  • आदिवासी संगठन जयस ने किया विरोध प्रदर्शन
  • पुलिस को पढ़ाया कानून का पाठ
  • पुलिस ने दोनों पक्षों पर किया था केस दर्ज

पुलिस ने दोनों पक्षों पर किया केस दर्ज

खंडवा के खालवा में हुए हत्याकांड और शव को आरोपियों के घर के सामने दाह संस्कार करने के मामले में पुलिस ने दोनों ही पक्षों पर अलग अलग धाराओं में केस दर्ज किया है। जिसके चलते आदिवसी समाज जयस के समर्थन में लोग खंडवा में इक्कठे हुए। बता दें की आदिवासी समाज और जयस पदाधिकारियों का कहना है कि पुलिस ने हमारे समाज के लोगों पर नियम विरुद्ध केस दर्ज किया है।

पुलिस को पढ़ाया कानून का पाठ

आदिवसी समाज के लोगो ने हाथ में संविधान और आईपीसी सीआरपीसी की किताब लेकर कानून का हवाला देते हुए पुलिस को ही कानून का पाठ पढ़ाना शुरू कर दिया। आदिवासी नेता दयाराम ने एडिशनल एसपी से कहा कि आपने भारतीय दंड संहिता की धारा 141 का उल्लंघन किया है। आपके खिलाफ धारा 124 ए के तहत देशद्रोह का मुकदमा भी दर्ज हो सकता है। उन्होंने 51 लाख रुपये मुआवजा देने और हत्या के आरोपियों को फांसी दिए जाने की मांग की है।

जाने क्या है पूरा मामला

दरअसल पांच दिन पहले खालवा के गांव कोठा में आदिवासी युवक फुलचंद के साथ गांव के ही कुछ लोगो ने मारपीट की थी। इसके बाद अस्पताल ले जाते समय फूलचंद की मौत हो गई थी। इसके बाद से लगातार आदिवासी समाज के लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हत्या वाले दिन लोगों ने पहले चक्काजाम किया। उसके बाद आरोपियों के घर के सामने ही मृतक का अंतिम संस्कार कर दिया। जानकारी मिली है की पुलिस ने आदिवासी युवक की हत्या करने वाले नौ आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया है। वहीं हत्या के आरोपियों के घर के सामने आक्रोशित लोगों ने मृतक का अंतिम संस्कार किया। पुलिस ने 100 से अधिक लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जिनमें से 5 को गिरफ्तार किया गया है। जिसके चलते जयस के साथ कई आदिवासी संगठनों का कहना है कि पुलिस ने नियम विरुद्ध आदिवासी भाइयों पर केस बनाया है। उसे वापस लिया जाए।

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