India News (इंडिया न्यूज़), Ujjain Mahakal: धनतेरस पर महाकाल मंदिर में पारंपरिक दीपोत्सव का गर्भगृह और नंदीहाल में दीप जलाकर दीप उत्सव का आगाज किया गया है। आज सुबह महाकाल मंदिर मे धनतेरस का त्योहार मनाया गया। परंपरा के अनुसार धनतेरस पर सुबह सारे पुजारी-पुरोहित समिति द्वारा भगवान का अभिषेक किया है। इस दौरान पूजन मे वहां मंदिर समिति के अध्यक्ष व कलेक्टर मंदिर समिति के प्रशासक व अन्य अधिकारी भी शामिल हुए।
उज्जैन में परंपरा है कि यहां दिवाली की शुरुआत भगवान महाकाल के मंदिर से की जाती है। सबसे पहले यहां आयोजन किया जाता है। फिर बाद में शहर में दीपावली का महोत्सव शुरू होता है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि रमा एकादशी की शाम से महाकाल मंदिर में दीप प्रज्जवलन का सिलसिला शुरू हुआ।
बता दें कि रूप चतुर्दशी वाले दिन पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान को केसर चंदन का उबटन लगाएंगी। पुजारी बाबा को गर्म जल से स्नान कराएंगे। कर्पूर से आरती की जाएगी। बाबा के स्नान के बाद नए वस्त्र, सोने चांदी के आभूषण धारण कराकर आकर्षक श्रृंगार किया जाएगा। अन्नकूट का महाभोग लगाकर फुलझड़ी से आरती की जाएगी।
12 नवंबर की सुबह रूप चौदस और शाम को दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा। भस्मारती से लेकर रात 10.30 बजे शयन आरती तक नियमित पांच आरतियों में फुलझड़ी चलाई जाएगी। बाबा का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। अगले दिन 13 नवंबर को सोमवती अमावस्या है। 14 नवंबर को कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर मंदिर के मुख्य द्वार पर महिलाएं गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजा-अर्चना की जाएगी। चिंतामन स्थित मंदिर की गोशाला में गोवंश की पूजा-अर्चना की जाएगी।
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