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Vaginal Health:’वजाइना’ से जुड़ी इन 5 बातों का रखें खास ख्याल, नजरअंदाज करने से बढ़ सकती है आपकी परेशानी

• LAST UPDATED : April 8, 2023

(Vaginal Health: Take special care of these 5 things related to ‘Vagina’, ignoring can increase your problem) आजादी के 75 साल बाद भी भारत की महिलाएं वेजाइनल हेल्थ के बारे में बात करने से डरती है। लेकिन बदलते लाइफस्टाइल के कारण वेजाइनल हेल्थ का ध्यान रखना बेहद जरुरी हो गया है।

बता दें वजाइना से जुड़ी छोटी समस्या भी गंभीर बिमारी का रुप ले सकती है। अगर वजाइना में किसी भी तरह की परेशानी का अनुभव होता है तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ताकि सही समय पर सही सलाह मिल सके। वेजिनल हाइजीन के बारे में जागरुक होने से और कुछ सही आदतों से वेजाइनल इनफेक्शन को रोका और कम किया जा सकता है।

1.वजाइना का पीएच स्तर

आपको याद होगा की आपने ये पीएच शब्द पहली बार अपने स्कूल में सुना होगा। जिसका अर्थ होता है पावर ऑफ हाइड्रोजन यानी की हाइड्रोजन की क्षमता। जिससे हम किसी भी पदार्थ का एसिडक और बेसिक स्तर को समझते हैं। पीएच लेवल 0 से लेकर 14 तक होता है। जिसमें की 0 सबसे अधिक एसिडक होता है। वहीं 14 सबसे बेसिक माना जाता है। हालाकि 7 को न्यूट्रल माना जाता है।

वहीं मानव के शरीर में पीएच लेवल का बैलेंस, शरीर के रासायनिक बनावट के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। शरीर के पीएच लेवल को संतुलित रखने से शरीर का संतुलन बना रहता है। हालांकि मानव शरीर के अलग-अलग हिस्सों का अलग-अलग पीएच लेवल को सही माना गया है। त्वचा का सामान्य पीएच 4 और 6.5 के बीच माना जाता है। वहीं वजाइना का पीएच 3.5 से 4.5 सही माना जाता है। लेकिन पानी, साबुन और अन्य चीजों के उपयोग की वजह से वजाइना का पीएच लेवल बिगड़ जाता है, जो कि वेजाइनल हेल्थ को बिगाड़ देता है।

बढ़ा हुआ पीएच लेवल वजाइना में बैक्टीरिया को बढ़ने की अनुमति देता है। जिससे की वेजाइनल इनफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं घटा हुआ पीएच लेवल प्रजनन की क्षमता पर असर डालता है। वजाइना के पीएच लेवल को सही रखने के लिए डाइट में प्रोबायोटिक शामिल करें, एक्सरसाइज करें, खुद को हाइड्रेटड रखें, धूम्रपान ना करें और टी ट्री ऑयल का इस्तेमाल कर सकती हैं।

2.वेजाइनल एरिया से बदबू

वेजाइनल हेल्थ को सही रखने के लिए सबसे पहले हमें वेजिनल हाइजीन का ध्यान रखना होगा। अक्सर वेजिनल हाइजीन ना रखने की वजह से वेजाइनल एरिया से बदबू आने लगती है। लेकिन कई बार वेजिनल हाइजीन का ध्यान रखने के बाद भी वेजाइनल एरिया से बदबू आने की समस्या होती है। ऐसी स्थिती में आपको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। साथ ही साथ वेजिनल हाइजीन को सही रखने के लिए वेजाइनल एरिया को हमेशा गुनगुने पानी से साफ करते रहना चाहिए।

3.वेजाइनल डिस्चार्ज में कलर चेंज

वेजाइनल डिस्चार्ज आपके वेजाइनल हेल्थ को दर्शाता है। वेजाइनल डिस्चार्ज के कलर में किसी भी प्रकार का बदलाव आपके हेल्थ पर खतरा का संकेत है। वेजाइनल डिस्चार्ज की मदद से शरीर की मृत कोशिकाएं और बैक्टीरिया बाहर निकलती हैं। व्हाइट या ऑफ-व्हाइट कलर के डिस्चार्ज को नॉर्मल माना जाता है।

बता दें कि पीले रंग का डिस्चार्ज बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकता है। हरे रंग का डिस्चार्ज सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन का सिम्पटम्स माना जाता है। वहीं भूरे रंग का वेजाइनल डिस्चार्ज, इर्रेगुलर पीरियड्स या फीर यूटरस या सर्वाइकल कैंसर का संकेत तक माना जाता है। वेजाइनल डिस्चार्ज के रंगो में बदलाव होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

4.वेजाइनल स्टीमिंग

आज-कल महिलाओं में वेजाइनल स्टीमिंग का चलन बढ़ता नजर आ रहा है। जैसा की हम नाम से समझ पा रहें है वेजाइनल स्टीमिंग यानी वेजाइनल एरिया को भाप देना। स्टीमिंग को अक्सर शरीर के किसी भी हिस्से को डीप क्लीनिंग के लिए लिया जाता है। जैसे की हमने लोगों को त्वचा की सफाई के लिए फेस स्टीमिंग लेते देखा है। वहीं सांस की नली को साफ करने के लिए भी लोग स्टीम लेने की सलाह देते है। वैसे ही वेजाइनल एरिया की सफाई के लिए वेजाइनल स्टीमिंग का प्रयोग किया जाता है।

इस प्रकिया में एक टब के ऊपर बैठना होता है। फिर गर्म पानी, जिसमें कुछ हर्ब्स डालकर गर्भाशया प्रणाली को साफ की जाती है। लेकिन इसके कुछ साइड इफेक्टस भी है। जैसे की वेजाइनल एरिया के आसपास की त्वचा काफी संवेदनशील होती है। जिसपर भाप लगने से वो एरिया जल भी सकती है। साथ ही साथ भाप का असर वजाइना में मौजूद नैचुरल बैक्टीरिया पर पड़ता है। कभी-कभी स्टीमिंग से शरीर का हार्मोनल लेवल भी असंतुलित हो जाता है। साथ ही साथ यीस्ट इंफेक्शन होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए स्टीमिंग हमेशा एक्सपर्ट के देख-रेख में करना चाहिए।

5.वेजाइनल पियर्सिंग

वेजाइनल पियर्सिंग में महिलाएं अपने वेजाइनल एरिया के आस पास पियर्सिंग कराती है। बता दें कि ये प्रक्रिया बेहद संवेदनशील होता है। जिसमें थोड़ी सी लापरवाही आपकी जान तक ले सकती है। इसके लिए आपको कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसे कि पियर्सिंग हमेशा एक्सपर्ट से करवाना चाहिए। पियर्सिंग कराते समय साफ सफाई और सैनिटाइजेशन का ध्यान रखना चाहिए। वहीं पियर्सिंग के बाद सही मेटल का इस्तेमाल करना चाहिए।

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