India News (इंडिया न्यूज़),MP Congress CM Face , भोपाल: मध्यप्रदेश में इन दिनों चुनावी हलचल तेज हो गई है। जिसके चलते बीजेपी और कांग्रेस जनता को अपने पाले में लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। लेकिन कांग्रेस में कुछ मुद्दों को लेर नेताओं में एममत बनते हुए नहीं दिख रहा है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ पूरी तरह से खुद सीएम बनने के लिए आश्वस्त नजर आ रहे हैं।
इस कड़ी में कांग्रेस में कुछ ठिक नहीं चल रहा है। बेशक कांग्रेस की तरफ से सार्वजनिक मंचों पर ऐसा कुछ देखने को नहीं मिल रहा है। लेकिन बयानबाजी करने से कोई नहीं चूक रहा है।
बता दें कि कांग्रेस प्रदेश प्रभारी जेपी अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के बाद अब भिंड जिले के लहार से वरिष्ठ कांग्रेस विधायक और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह का बयान इन दिनों चर्चाओं में है। बीजेपी ने इसे मुद्दा बना लिया है।
दिसंबर 2022 महिना खत्म होकर नया साल 2023 दस्तक देने वाला था। इसी दौरान कांग्रेस के कुछ नेताओं ने कांग्रेस कार्यलय के आसपाल कमलनाथ की फोटो के साथ पोस्टर और बैनर लगाने शुरू कर दिये। जिन पर कमलनाथ के फोटो के साथ नया सला नई सरकार लिखा हुआ था। साथ ही तो किसी में लिखा कि ‘कल को देने सुनहरा आकार, आ रही है कमलनाथ सरकार’। यह वो घड़ी थी। जब साल 2023 के चुनावों में पहली बार कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताया जाने लगा।
इस घटना के एक महीने बाद फरवरी में कमलनाथ के खिलाफ बोलने की हिम्मत अरुण यादव नाम के एक नेता ने की। यादव ने एक टीवी चैनल के इंटरव्यू में कहा कि सत्ता में आने के बाद ही फैसला किया जाएगा कि एमपी में सीएम कौन बनेगा। तब अरुण ने यह भी कहा था कि कमलनाथ अभी प्रदेश अध्यक्ष हैं। उन्हीं के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा। दिल्ली को तय करने दीजिए, वेट कीजिए। चुनाव होगा, नतीजे आएंगे। इसके बाद विधायक दल की बैठक होगी। यह पूरा प्रोसेस है। जिसके बाज कांग्रेस के एक दल ने अरुण यादव को घेर लिया और भला-बुरा कहने लगे थे। आपको बता दें कि अरुण यादव से ही अध्यक्ष पद छीनकर कमलनाथ को दिया गया था।
अरुण यादव के इस बयान आने के बाद पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल भैया ने भी कमलनाथ के चेहरे पर सवाल उठाए। अजय सिंह ने कहा था कांग्रेस में सत्ता में आने के बाद तय होता है कि सीएम कौन होगा। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस में परंपरा रही है कि केंद्रीय नेतृत्व और विधायक दल ही सीएम चुनता है। और कोई व्यक्ति अपने आप को सीएम बताता भी नहीं है।
अरुण और अजय का यह बयान पूरे दिन सुर्खियों में बना रहा। जिसके बाद कमलनाथ ने मीडिया में सफाई भी पेश की। कमल नाथ ने कहा कि में किसी पद का आकांक्षी नहीं हूं। जीवन में सबकुछ पा लिया हूं। अब मेरा लक्ष्य सिर्फ मध्यप्रदेश का भविष्य सुरक्षित करना है।
इसी बीच 22 फरवरी को कमलनाथ छिंदवाड़ा में अजब-गजब शपथ के आयोजन में शामिल हुए। जिसमें विधायक कमलनाथ और उनके बेटे छिंदवाड़ा सांसद नकुलनाथ ने इस कार्यक्रम में हजारों कार्यकर्ताओं को हाथ खड़े कर कमलनाथ को मुख्यमंत्री और नकुल नाथ को सांसद बनाने के लिए शपथ ली थी।
बता दें कि एमपी में चुनावों को लेकर 29 मई को नई दिल्ली में कांग्रेस हाई कमान की बैठक हुई थी। पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत इस बैठक में कमलनाथ, दिग्गवीजय सिंह, डॉ गोविंद सिंह, अरूण यादव, अजय सिंह आदि नेता शामिल हुए थे। इस बैठक के दौरान राहुल ने प्रदेश में 150 सीटों के साथ जीत का दावा किया था। लेकिन मुख्यमंत्री के चेहरे संबंधी सवाल को का उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया था।
दिल्ली की बैठक के बाद दिग्गवीजय सिंह से जब मीडिया ने कांग्रेस के सीएम फेस पर सवाल के जवाब में उन्होंने कमलनाथ पर समर्थन दीया। उन्होंने मीडिया से चर्चा में कहा कि मध्य प्रदेश में जनभावनाएं कमलनाथ के साथ दिखाई दे रही है।
दिल्ली की बैठक से लौटे नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने मीडिया से बातचित करते हुए बताया कि चुनाव से पहले चेहरा घोषित करना अच्छी प्रथा नहीं है। अब हालही में नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करे। अगर वह चुनाव हार जाते हैं। तो मुख्यमंत्री का चेहरा कैसे बनेगा? इसके बाद बीजेपी सीधे तौर पर हमलावर हो गई, बीजेपी का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष को कमलनाथ से चुनाव हारने का डर सता रहा है। लेकिन बाद में सिंह ने वीडियो जारी कर सफाई दी है कि मीडिया ने मेरा बयान तोड़ मरोड़कर पेश किया है। वीडियो में वे एक बार फिर कमलनाथ के चेहरे को नकारते हुए कहते दिख रहे हैं। कमलनाथ के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे, वे हमारे पार्टी के नेता हैं, लेकिन मुख्यमंत्री विधायक दल की बैठक के बाद तय होता है, विवाद की स्थिति में मतदान भी होता है।
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