India News (इंडिया न्यूज़), MP News: प्रदेश के 12 लाख सरकारी कर्मचारी महंगाई भत्ता को बढ़ाने के लिए काफी समय से मांग कर रहे है। जिसे लेकर पिछली सरकार से मोहन सरकार तक लगातार टाल रहे है। एक ओर केंद्र सरकार के कर्मचारियों का समय-समय पर महंगाई भत्ता बढ़ रहा है तो वहीं राज्य में महंगाई भत्ता को लेकर सरकार टाला मटोली करती नजर आ रही है। अब यह मुद्दा राजनीतिक हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और नए पीसीसी चीफ जीतू पटवारी इस मुद्दे को लेकर मैदान में आ गए हैं।
आगे लिखते हैं कि “इसलिए भाजपा ने खुद को कर्मचारी हितैषी दिखाने के लिए यह पाखंड किया था। अब जब भाजपा की सरकार दोबारा बन गई है तो कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाने की फाइल ही आगे नहीं बढ़ रही। इससे पता चलता है कि भारतीय जनता पार्टी चुनाव के समय जनहित की बातें करती है और चुनाव जीतने के बाद सभी वर्गों को ताक पर रख देती है। मैं मुख्यमंत्री से अनुरोध करता हूं कि सरकारी कर्मचारियों के साथ छलावा करने की बजाय वह कर्मचारियों को उनका अधिकार दें और 46% महंगाई भत्ता देना सुनिश्चित करें”।
मध्य प्रदेश सरकार का कर्मचारी विरोधी रवैया एक बार फिर सामने आ रहा है। मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारी लंबे समय से केंद्र के बराबर 46% महंगाई भत्ता देने की मांग कर रहे हैं। मैं उनकी मांग का समर्थन करता हूं। विधानसभा चुनाव की वोटिंग से पहले भाजपा सरकार ने चुनाव आयोग से अनुमति मांगी…
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) January 31, 2024
जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा है कि “अंततः प्रधानमंत्री की गारंटी भी फिर जुमला ही निकली! विधानसभा चुनाव और घोषणा पत्र में बीजेपी ने किसानों को गेहूं के लिए ₹2700 प्रति क्विंटल की गारंटी दी थी! लेकिन, ख़बरें ₹2275 प्रति क्विंटल की सूचना दे रही हैं! मतलब साफ है – धान की तरह अब गेहूं को लेकर भी धोखा ही देना है! राजनीतिक चरित्र में झूठ को शामिल कर किसान को फिर गरीबी/महंगाई के चक्रव्यूह में ही घेरना है! डाॅ. मोहन यादव जी मैं फिर आगाह कर रहा हूं! किसान और कांग्रेस के धैर्य की परीक्षा नहीं लें! अपना चुनावी वादा तत्काल पूरा करें या फिर जनता के आक्रोश का सामना करने के लिए सड़क पर तैयार रहें”।
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