India News (इंडिया न्यूज़), MP News: एमपी के महिला एवं बाल विकास विभाग में बजट की कमी की वजह से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को 3 महीने से वेतन नहीं मिला है। साथ ही 2 महीने से सुपरवाइजर और CDPO को भी मानदेय नहीं मिल पा रहा है। इन सब का कारण विभाग में बजट की कमी बताई जा रही है। वहीं, विभाग के जिस मद में पैसा रखा है, उसको वेतन देने के लिए वित्त विभाग ने कैबिनेट से मंजूरी के लिए पत्र लिखा है। यही वजह है कि विभाग के प्रदेशभर की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाओं, सुपरवाइजर और CDPO का वेतन अटक गया है।
वहीं, इस मामले को लेकर पूर्व सीएम कमलनाथ ने मोहन सरकार पर सवाल खड़े किए है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमंते तत्र देवता। अर्थात, जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवताओं का वास होता है। यह हमारी भारतीय संस्कृति का शाश्वत उद्घोष है। लेकिन एमपी की मोहन सरकार ने कसम खा रखी है कि महिलाओं का किसी रूप में सम्मान तो क्या सामान्य जीवन भी व्यतीत न हो सके। मध्य प्रदेश के 35 जिलों में कार्यरत 60 हजार से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को पिछले 3 महीने से वेतन नहीं मिला है। एक तरफ मोदी सरकार बजट में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के लिए बड़ी-बड़ी बातें कर रही है तो दूसरी तरफ एमपी में उन्हें उनके बुनियादी अधिकार से भी वंचित कर रही है।
पूर्व सीएम बोले मैं मुख्यमंत्री मोहन यादव से जानना चाहता हूं कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के प्रति इस तरह का सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है? जब सीएम बार-बार कहते हैं कि प्रदेश में बजट की कमी नहीं है तो फिर वेतन न देने की और क्या वजह है? उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री मोहन यादव से मांग करता हूं कि समस्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को तत्काल वेतन का भुगतान किया जाए।
Read More: