India News(इंडिया न्यूज़), MP High Court: MP हाईकोर्ट ने cbi से नर्सिंग कालेज फर्जीवाड़े की जांच 15 दिन में पूरी करने के आदेश दिए गए हैं। इस मामले में चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस विशाल मिश्रा की बेंच में आज सुनवाई हुई है। इस दौरान सीबीआई ने 254 कॉलेजों की अंतरिम जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की है।
बता दें कि कि नर्सिंग फर्जीवाड़े से जुड़ी लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की जनहित याचिका के साथ लगभग 50 केसों की सुनवाई हाईकोर्ट में हुई। Cbi ने कोर्ट को बताया कि मेडिकल यूनिवर्सिटी से संबद्ध लगभग 50 नर्सिंग कॉलेजों की जांच हों अबकी है। इसके अलावा अन्य 50 कॉलेजों की जांच पर sc ने रोक लगा दी है। सुनवाई के दौरान CBI ने बाकी बचे 50 कॉलेज की जांच के लिए 1 महीने का समय मांगा लेकिन बच्चों के भविष्य को देखकर कोर्ट ने CBI को 15 दिन का समय दिया है।
अभी सीबीआई द्वारा जिन नर्सिंग कॉलेजों की जांच की जा रही है, वह मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर से संबंधित कॉलेज है। ये सभी कॉलेज नर्सिंग के डिग्री कोर्स चलाते है। इसके अलावा एमपी में डिप्लोमा नर्सिंग कॉलेज भी इस जांच के दायरे में शामिल है, जिनका सर्वोसर्वा मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल है। ऐसे कॉलेजों की संख्या भी करीब 300 है। जिनकी जांच अभी शेष है। हाई कोर्ट के आदेश पर नर्सिंग काउंसिल की पूर्व रजिस्टर को सरकार ने रातों-रात पद से हटा दिया।
एमपी लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन की ओर से साल 2021 में ये केस दर्ज किया गया था। प्रदेश में फर्जी तरीके से नर्सिंग कॉलेजों के संचालन को चुनौती दी गई है। इन याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में कई ऐसे नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई, वास्तविकता में यह कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं। अधिकांश कॉलेजों की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है।
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