India News(इंडिया न्यूज़), MP News: देखे गए डॉक्यूमेंट से पता चलता है कि कुछ मजदूर जो जिंदा हैं और काम कर रहे हैं, उन्हें मध्य प्रदेश में एक योजना से सरकारी धन हड़पने के लिए उनको मुर्दा घोषित किया गया है।
यदि किसी मजदूर की काम के दौरान या दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है तो मध्य प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड उसके परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए 2 लाख रुपये देता है। यदि कोई पंजीकृत मजदूर काम से संबंधित दुर्घटना के कारण स्थायी या आंशिक अस्थायी विकलांगता का शिकार हो जाता है तो भी मुआवजा दिया जाता है।
हालाकि, कई मजदूर जो अभी भी राज्य की राजधानी भोपाल में काम कर रहे हैं, डॉक्यूमेंट से पता चलता है कि उन्हें कागज पर “मरा” हुआ पाया गया है। कुछ अधिकारियों ने इन मजदूरों के नाम पर फर्जी बैंक खाते खोले और खुद को नामांकित बनाया, जिसके बाद 2 लाख रुपये की सहायता ली गई।
चांदबाद से 3 किमी दूर रहने वाले मोहम्मद क़मर को भी मरा हुआ पाया गया था और पैसा 21 जून, 2023 को उसी नाम के नामांकित व्यक्ति को जारी किया गया था।
मोहम्मद कमर कहते हैं, “ये कागजात कहते हैं कि मैं मर चुका हूं, मैंने पैसे ले लिए हैं। एक मृत व्यक्ति को नामांकित व्यक्ति होने की बेतुकी बात को छोड़ दें, तो मैं वास्तव में यहां खड़ा हूं।”
कल्याण बोर्ड शादी के लिए ₹ 51,000 की सहायता भी देता है। मोहम्मद क़मर कहते हैं कि उन्होंने कुछ साल पहले अपनी बेटी के लिए इसके लिए आवेदन किया था, लेकिन कभी एक रुपया भी नहीं मिला। एक पंजीकृत मजदूर का कार्ड दिखाते हुए वह कहते हैं, ”इस कार्ड से हमें ₹ 51,000 की सहायता मिलती है।” वह कहते हैं, “लेकिन मुझे यह नहीं मिला। यह बहुत दुखद है। मैं अपने दस्तावेज़ अब किसी को नहीं दे सकता। मुझे अपने दस्तावेज़ों को लेकर किसी पर भरोसा नहीं है।”
भोपाल के जहांगीराबाद इलाके की निवासी लीलाबाई का कहना है कि 2 साल पहले उनकी बेटी, जो एक पंजीकृत मजदूर थी, मृत्यु के बाद किसी ने उन्हें मिलने वाले ₹ 2 लाख निकाल लिए।
वह कहती हैं , “2 साल पहले मेरी बेटी मुमोबाई की मृत्यु के बाद अचानक नगर निगम के कुछ लोग आए और पूछने लगे कि क्या मैंने योजना से 2 लाख रुपये लिए हैं। हमें किसी से कोई पैसा नहीं मिला है।”
वह कहती हैं, “नगर निगम का कहना है कि हमारी बेटी के नाम पर पैसा निकाला गया है। वे हमें हर दिन फोन करके परेशान कर रहे हैं। अगर हमने किसी योजना में अपना नाम दिया होता तो हमारे दस्तावेज़ और हस्ताक्षर वहां होते।” लीलाबाई कहती हैं, “हमें कागजात दिखाओ। हमें बिना किसी कारण के क्यों परेशान किया जा रहा है? हमारी बेटी की मौत के बाद हम पहले से ही टूट गए हैं।”
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