India News(इंडिया न्यूज़),National Epilepsy Day: एपिलेप्सी यानी की मिर्गी की बीमारी दिमाग से जुड़ी एक समस्या है, इस बीमारी से पूरी दुनिया में लगभग 5 करोड़ लोग प्रभावित हैं। वैसे तो ये बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, हालाँकि इसके अधिकतर मामले बच्चों में देखे जाते हैं। WHO के अनुसार, ये बहुत ज्यादा खतरनाक बीमारी नहीं है, लेकिन इसकी वजह से शरीर में कई अंदरूनी बीमारियां जन्म ले सकती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, पूरी दुनिया में तकरीबन 50 फीसदी मिर्गी के मामलों के कारणों की पहचान नहीं हो पाती है। इस बीमारी की गंभीरता और इसके बारे में जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल नेशनल एपिलेप्सी डे फरवरी के दूसरे सोमवार को बनाया जाता है। तो आइये जानते हैं आखिर क्या है ये बीमारी।
एक्सपर्ट्स के अनुसार, मिर्गी दो तरह के दौरा पैदा करती है। जिसमें एक होता है जनरलाइज्ड एपिलेप्सी इस कंडीशन में पूरे दिमाग में दौरा पड़ता है। ये तब तक होता है जब तक कि इंसान बेहोश न हो जाए। वहीँ, दूसरा होता है फोकल एपिलेप्सी इस स्थिति में दिमाग के कुछ हिस्सों में इलेक्ट्रिकल तरंगे दौड़ती हैं। ऐसे हालत में इंसान के सूंघने या चखने की शक्ति बदल जाती है। शरीर में मरोड़ आने लगती है चक्कर आने लगता है और देखने, सुनने या फील करने की क्षमता लुप्त हो जाती है।
अगर आपको ब्रेन स्ट्रोक आया है तो इससे आपको मिर्गी के दौरा पड़ने का खतरा रहता है।
अगर ब्रेन में ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है तो भी मिर्गी का दौरा पड़ सकता है।
एक्सपर्ट्स की मानें तो ब्रेन ट्यूमर या दिमाग में फोड़ा होने पर भी ये खतरा पैदा हो सकता है।
जिन लोगों को उम्र बढ़ने पर डेमेंशिया या अल्जाइमर जैसी बीमारियां होती हैं उन्हें भी मिर्गी के दौरे पड़ सकते हैं।
AIDS या मैनिंजाइटिस से पीड़ित व्यक्ति के भी मिर्गी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है।
कई बार नशीली दवाओं के सेवन और जेनेटिक वजहों से भी मिर्गी के दौरे पड़ सकते हैं।
डॉक्टर की बताई दवा समय पर और रेगुलर लें
हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं
पर्याप्त नींद लेना जरूरी है
हर दिन व्यायाम करें
तनाव और चिंता कम करें
संतुलित आहार लें
शराब और नशीली चीजों से दूर रहें
दिन में जमकर पानी पिएं
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