महिला नागा साधु कैसी बनती हैं, कब देती हैं दर्शन

महिला नागा साधु बनने के लिए उन्हें कठिन तपस्या करनी पड़ती है।

उन्हें जीवित रहते हुए पिंडदान करना पड़ता है। उन्हें अपना सिर मुंडवाना पड़ता है।

वे नागा साधुओं की तरह नग्न नहीं रहती हैं, बल्कि गेरू रंग का कपड़ा पहनती हैं। माथे पर तिलक लगाती हैं।

महिला नागा साधु दुनिया से दूर पहाड़ों, गुफाओं और जंगलों में रहती हैं और हमेशा भगवान की भक्ति में लीन रहती हैं।

वे सिर्फ महाकुंभ जैसे खास मौकों पर ही पवित्र नदियों में स्नान करने दुनिया के सामने आती हैं।

महिला नागा साधुओं का जीवन बहुत कठिन होता है। कई सालों की कठिन तपस्या के बाद ही गुरु उन्हें दीक्षा देते हैं।

अखाड़े की महिला नागा साधुओं को माई, अवधूतनी या नागिन कहा जाता है।