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भगवान शिव 3 नेत्र धारी है। जब उनका क्रोध बढ़ जाता है तो उनकी तीसरी आंख खुल जाती है। इसको क्रोध या रौद्र रूप कहा गया है।
तीन आंख होने के कारण उनको त्र्यंबकेश्वर कहा जाता है। आइए जानते है कि उन्होंने कितनी बार अपनी तीसरी आँख खोली थी।
1 - पैराणिक कथाओं के अनुसार, देवगुरु बृहस्पति और देवों के राजा इंद्र महादेव से मिलने कैलाश पहुंचे।
महादेव ने इन दोनों लोगों की परीक्षा लेने के लिए एक ऋषि का रूप धारण किया। ऋषि रूप में महदेव ने दोनों लोगों को मिलने से रोक दिया।
तब गुस्से में इंद्र देव ने उनपर वज्र से प्रहार कर दिया। तब क्रोध में महादेव ने तीसरी आंख खोली लेकिन बृहस्पति ने कैसे भी इंद्रदेव को बचाया।
2 - एक बार खेल-खेल में माता पार्वती ने महादेव की दोनों आंखों को हाथों से बंद कर दिया फिर पूरे संसार में अंधेर छा गया।
तब संसार को बचाने के लिए महादेव ने तीसरी आंख खोली उसके तपन ने माता पार्वती के हाथों से पसीना टपका।
पैराणिक कथाओं के अनुसार, उस पसीने से अंधकासुर नामक राक्षस ने जन्म लिया।
3 - एक बार देवी सती के प्राण जाने के बाद महादेव मोह माया से मुक्त होकर कैलाश चले गए तब तीर मारकर कामदेव ने उनकी साधना तोड़ दी।
फिर महादेव ने क्रोध में तीसरी आंख खोली और कामदेव जल कर भस्म हो गए।