प्रेमानंद महाराज ने बताया कि कैसे होंगे मां दुर्गा के दर्शन

सत्संग के दौरान एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से पूछा कि मैं मां दुर्गा भक्त हूं। उनके दर्शन करना चाहता हूं, तो क्या करूं कि वो जल्दी आ जाएं?

मां के दर्शन

इसका जवाब देते हुए महाराज जी कहते हैं कि जब बच्चा मां की गोद में बैठना चाहता है तो, सबसे पहले उसका कार्य होता है खिलौने खेलना बंद करता है।

मां की गोद

मां अगर कार्यरत है तो उसे खिलौना भेजेगी। अगर वो खिलौने से ना खेले, रोए तो घर के किसी सदस्य को सहेजती है कि थोड़ी देर उठा ले।

खिलौना भेजेगी

वो कहते हैं कि पहले हमें उन भोगों का त्याग करना होगा, जिन भोगों में हम खेल रहे हैं। फिर हमारे सामने कुछ मांगे आएंगी।

भोगों का खेल

मां से ना मिलने के लिए बाधा बनकर, हम उन मांगो को भी जो सोचा था हम उसे ना स्वीकार करें और रोते ही रहें, तो मां नहीं रुक सकती है।

नहीं रुकेगी मां

तो वो वात्सल्य में साक्षात दर्शन देंगी। पहले हमारी सामर्थ तो होनी चाहिए, मां के दर्शन हो। हमारी मां कोई प्राकृतिक मां हैं क्या।

सामर्थ

इसके आगे वो कहते हैं कि वो आद्याशक्ति, अनंत महामहीम हैं। वैसे थोड़ी हैं कि इन प्राकृतिक नेत्रों से देख पाएंगे। जैसे आप अपनी मां को देख लेते हैं।

आद्याशक्ति

वो केवल तुम्हारी मां थोड़ी हैं, वो तो जगत माता हैं और वो ईश्वरीय हैं।

ईश्वरीय

महाराज जी आगे कहते हैं कि वो पहले भोगों का त्याग करो और उनकी शरण में होकर अंदर से उनके नाम मंत्र और उनका भजन करो।