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Melting Tibetan Glaciers: तिब्बत में मिला 15 हजार साल पुराना वायरस,  जिससे अनजान पूरी दुनिया

India News(इंडिया न्यूज़),Melting Tibetan Glaciers: तिब्बत में कई ग्लेशियर हैं, जो तेजी से पिघल रहे हैं। तिब्बत पर 15 हजार साल पुराना वायरस मिला है। ये वायरस भारत, चीन और म्यांमार जैसे देशों के लिए खतरा बन सकता है। प्राचीन वायरस के संक्रमण का कोई इलाज नही है। पर्माफ्रॉस्ट पिघल रहे हैं। जिसके कारण पुराने जीव, वायरस, बैक्टीरिया जैसी चीजें निकल रही हैं।

42 हजार साल पुराना राउडवॉर्म

ग्लेशियर और पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से 40 हजार साल पुराने विशालकाय भेड़िये और 7.50 लाख पुराने मॉस में वैज्ञानिकों ने लैब में वापस जीवन डाला है। ये 42 हजार साल पुराना राउडवॉर्म हैं। वैज्ञानिकों ने तिब्बत के पठारों पर मौजूद गुलिया आइस कैप के पास से 15 हजार साल पुराना है। वो केवल एक प्रजाति के नहीं बल्कि कई प्रजातियों के है। रिसर्च में कहा गया कि ये इंसानों के लिए किसी भी समय खतरा पैदा कर सकते है।

28 का कुछ नही पता 

ये वायरस चीन में तिब्बत के पिछलते गिलेशियर के नीचे समुद्री सतह से 22 फीट की ऊचांई पर मिला है। जिसमें से 28 के बारे में पूरी दुनिया को कुछ नही पता है। बता दें कि इनके संक्रमण का कोई इलाज नही है। इन वायरसों ने चरम स्थितियों में अपनी जिंदगी बिताई है। ये किसी भी तरह के तापमान या मौसम को झेल सकते हैं। ये सब बहुत तेजी से हो रहा है। इंसानों के सामने भविष्य अंधकार में साबित हो रहा है।

एशियाई देशों पर पड़ेगा असर 

यांग्त्जे नदी, यलो रिवर, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी के आसपास घनी आबादी वाले लोग रहते है। अगर ये वायरस इऩ नदियों के सहारे चीन और भारत की आबादी वाले इलाके में पहुंच गया तो स्थित गंभीर हो सकती है। इसका सीधा असर भारत और चीन को पड़ सकता है साथ ही शियाई देशों को भी हो सकता है।

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